छत्तीसगढ़ के विकास में वेदांता के प्रमुख सीएसआर योगदानों को उजागर करते हुए, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने वित्त वर्ष 2024 की सोशल इम्पैक्ट रिपोर्ट जारी की

भारत के विकास में योगदान के लिए वेदांता लिमिटेड की सामाजिक पहल शाखा,अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में 437 करोड़ रुपये का निवेश किया गया जिससे 1.73 करोड़ से अधिक लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया।

इसमें भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) और बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य में महत्वपूर्ण योगदान शामिल है। फाउंडेशन की वार्षिक सोशल इम्पैक्ट रिपोर्ट, “नर्चरिंग, ट्रांसफॉर्मिंग, लीडिंग: इंडिया’स ग्रोथ स्टोरी”, में 153 उच्च प्रभावशाली परियोजनाओं का उल्लेख किया गया है, जो 1,200 से अधिक गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, महिला एवं बाल विकास, कौशल व आजीविका, पशु कल्याण और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित हैं।

बालको के कैंसर देखभाल केंद्र, स्थायी आजीविका सृजन और महिला सशक्तिकरण की सफलता पर प्रकाश डाला गया_


बालको, वेदांता की सहायक कंपनी है, जो छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एक प्रतिष्ठित एल्युमीनियम निर्माता है। यह अपने परिचालन क्षेत्रों और आसपास के समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। बालको अपनी सीएसआर पहलों के माध्यम से इन समुदायों को सशक्त और सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

इसके तहत इन्होंने छत्तीसगढ़ के कोरबा, कवर्धा, सरगुजा और रायपुर जिलों के 123 गाँवों में लगभग 1.7 लाख लोगों को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य बनाया है। वर्षभर में, स्थायी आजीविका, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक बुनियादी ढाँचे जैसी विभिन्न सामाजिक प्रभाव पहलों के माध्यम से कुल 1,69,056 ज़िंदगियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया गया है।


वेदांता लिमिटेड की नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड की चेयरपर्सन, प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा, “वेदांता में, हमारी मूल विचारधारा ‘अर्थ’ (जो मूल्य हम उत्पन्न करते हैं) और ‘धर्म’ (जो मूल्य हम वापस देते हैं) हमें समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता को मार्गदर्शन प्रदान करती है। हमारी हर पहल — चाहे वह बच्चों का पोषण और स्वास्थ्य देखभाल हो, कौशल विकास और आजीविका, खेलों का प्रचार, सांस्कृतिक संरक्षण या अन्य कोई पहल — ये सभी हमारे समावेशी और सशक्त भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।”

नया रायपुर में स्थित बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन की प्रमुख पहल है और यह कैंसर देखभाल की पहुँच को सुगम और सुलभ बनाने में अग्रणी के रूप में स्थापित हो चुका है।

इसकी स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी, और तब से अब तक इसने 170-बेड वाली तृतीयक देखभाल ऑन्कोलॉजी सुविधा के माध्यम से 38,500 से अधिक मरीजों का इलाज किया है। बीएमसी अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक और थेराप्यूटिक सेवाएँ प्रदान कर रहा है।

वर्ष 2023 में, बीएमसी को अर्ली-ऑनसेट कोलोरेक्टल कैंसर पर शोध के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रतिष्ठित “कैंसर ग्रैंड चैलेंजेस” अनुदान प्राप्त हुआ। यह अनुदान कैंसर रिसर्च यूके और यूएस नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के सहयोग से प्रदान किया गया।

मुंगेली, छत्तीसगढ़ की 7 वर्ष की एक लड़की की कहानी काफी प्रेरणादायक है, जो बालको मेडिकल सेंटर से जुड़ी है।उसे पैर और जांघ की हड्डी में गंभीर हड्डी का कैंसर था, जिसे इविंग्स सारकोमा कहते हैं। बीएमसी में उसे जीवनरक्षक इलाज मिला।

सामान्य तौर पर अगर धातु प्रत्यारोपण का इस्तेमाल करके पारंपरिक पुनर्निर्माण किया जाता, तो पैर की लंबाई में अंतर आ सकता था, जिससे पैर लगभग अनुपयोगी हो जाता। पैर को अलग करने पर भी विचार किया गया, लेकिन वह भी उपयुक्त नहीं था।

इसके बजाए, बीएमसी की मेडिकल टीम ने रोटेशनप्लास्टी नामक एक अनोखी और दुर्लभ सर्जरी करने का निर्णय लिया। इस लड़की की कीमोथेरेपी और सर्जरी का पूरा खर्चा आयुष्मान भारत योजना के तहत उठाया गया, जिससे उसके परिवार पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। इलाज के 6 महीने बाद, अब यह बच्ची आराम से चलने लगी है और अब अपने दैनिक जीवन को सहजता से जीने लगी है।

बालको का ‘मोर जल मोर माटी’ प्रोजेक्ट अपने समुदाय कल्याण और सतत आजीविका के प्रति प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस परियोजना ने जल प्रबंधन में सुधार और नवाचारी खेती के तरीकों को अपनाकर किसानों को पूरे वर्ष भर आय अर्जित करने में सक्षम बनाया है।इस कार्यक्रम के माध्यम से बालको ने 107 जल संरचनाओं का निर्माण किया, जिससे 1,06,061 क्यूबिक मीटर की कुल जल भंडारण क्षमता उत्पन्न हुई।

जिन किसानों ने आधुनिक तकनीकों को अपनाया है, उनकी उत्पादकता में 1.4 गुना और आय में 50% की वृद्धि हुई है। अब तक, इस परियोजना से 4,749 किसानों को लाभ पहुँचा है, जो 32 गाँवों में 1,800 एकड़ भूमि को सिंचाई के लिए सुरक्षित करके 85% खेती करने वाले परिवारों की जरूरतों को पूरा करती है।

एक अन्य प्रेरणादायक सफलता की कहानी बुंदेली गांव के एक किसान तुलसी मांझवार की है। वे आय की सीमितता के चलते काफी परेशान थे। बालको के मार्गदर्शन में उन्होंने लाख की खेती की ओर रुख किया। परिणामस्वरूप, उनके खेत में 130 किलो लाख का उत्पादन हुआ और उन्होंने 65,000 रुपए की अतिरिक्त आय अर्जित की।

यह मार्गदर्शन उनके परिवार की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार करने में अहम कारक साबित हुआ। यह पहल ग्रामीण समुदायों में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में बालको की भूमिका को दर्शाती है।

प्रोजेक्ट उन्नति महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। इसके माध्यम से उन्हें एसएचजी में शामिल किया जाता है, और उनकी क्षमताओं और कौशल को निखारा जाता है, ताकि वे उद्यमिता एवं स्थायी आजीविका के लिए तैयार हो सकें।