कोरबा, 06 जून 2025: कोरबा जिले के दीपका-गेवरा ओपन कोल परियोजना के तहत कोयला उत्खनन के लिए भू-विस्थापित परिवारों ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भू-विस्थापितों का कहना है कि उनकी निजी भूमि पर बने मकान, श्रीकामदगिरी उद्यान में लगे फलदार वृक्ष, कुएं और बोरवेल को बिना पूर्व सूचना के 29 मई 2025 को जेसीबी मशीनों से तोड़ दिया गया। इस दौरान उनके सामान को निकालने का समय तक नहीं दिया गया, जिससे भारी नुकसान हुआ।
प्रेस क्लब तिलक भवन, कोरबा में आयोजित पत्रकार वार्ता में भू-विस्थापित दिनेश जायसवाल, उदय नारायण जायसवाल और उनके पुत्रों—संजय, प्रेम, और राजेश जायसवाल—ने बताया कि ग्राम अमगांव में उनकी अर्जित भूमि पर वर्षों पहले विद्यालय, रिहायशी मकान और श्रीकामदगिरी उद्यान का निर्माण किया गया था। एसईसीएल द्वारा 2015 के बाद इस भूमि का अधिग्रहण किया गया, और मुआवजे का पुनर्निर्धारण राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्विजिशन, रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट एक्ट (आरएफसीटीएलएआरआर), 2013 की अनुसूची 01 के तहत किया गया। हालांकि, मकान, उद्यान, और अन्य संरचनाओं के लिए अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया।
भू-विस्थापितों ने आरोप लगाया कि 29 मई 2025 को दोपहर करीब 3 बजे एसईसीएल दीपका प्रबंधन और मिट्टी उत्खनन करने वाली एक निजी कंपनी के कर्मचारियों ने तीन जेसीबी मशीनों के साथ बिना सूचना के उनके मकान तोड़ने शुरू कर दिए। इससे उनके सामान को भारी नुकसान हुआ। उन्होंने मांग की है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और मकान, उद्यान, फलदार वृक्षों, कुएं, और बोरवेल के लिए अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए।
पीड़ित परिवारों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे। इस मामले ने क्षेत्र में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, और भू-विस्थापितों के साथ न्याय की मांग जोर पकड़ रही है।